राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके को लेकर पंजाब कांग्रेस में भारी बेचैनी का आलम छा चुका है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पंजाब कांग्रेस के कई बड़े नेता सीएम अमरिंदर सिंह द्वारा पीके को अपना सलाहकार बनाए जाने से खासे नाखुश हैं। इन नेताओं को आशंका है कि पीके आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने के साथ-साथ पार्टी के आंतरिक मामलों, विशेषकर टिकट वितरण प्रक्रिया में भी हस्तक्षेप कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2017 में हुए चुनाव दौरान पीके ने राज्य कांग्रेस के रणनीतिकार रहते ऐसा ही किया था। तब यूपी कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पीके की कार्यशैली को लेकर भारी ऐतराज राहुल-प्रियंका के सम्मुख दर्ज कराया था। ठीक ऐसा ही पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिला है। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर खासी नाराजगी है कि ममता बनर्जी पार्टी नेताओं से ज्यादा पीके की बात सुनती हैं। पीके पर पश्चिम बंगाल में तृणमूल के टिकट वितरण में दखलअंदाजी का बड़ा आरोप है। इस सबके चलते पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने न केवल सीएम अमरिंदर सिंह को पीके की भूमिका तय करने के लिए आगाह कर डाला है, बल्कि राज्य के प्रभारी और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत को भी अपनी चिंता से अवगत करा दिया है। जानकारों का दावा है कि हरीश रावत ने ऐसे नेताओं को आश्वस्त किया है कि टिकट वितरण प्रक्रिया में पीके की कोई भूमिका नहीं रहेगी। इसके बावजूद भी पंजाब कांग्रेस में पीके को लेकर खेमेबंदी शुरू हो चली है।
पीके को लेकर पंजाब कांग्रेस में तकरार
