लुटियन दिल्ली में एक बार फिर से नाना प्रकार की अटकलों और चर्चाओं का बाजार प्रधानमंत्री मोदी के ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विजन पर शुरू हो चला है। कहा-सुना जा रहा है कि पीएम अब अपने इस एजेंडे को पूरा करने के लिए तेजी से जुट गए हैं। चर्चा जोरों पर है कि 2024 के लोकसभा चुनावों को एक बरस पहले यानी 2023 में ही कराने की योजना पर भाजपा काम कर रही है। गौरतलब है कि अगले वर्ष नौ राज्यों में चुनाव होने हैं। इस वर्ष के अंत में दो राज्य हिमाचल और गुजरात के चुनाव होंगे। बताया जा रहा है कि इन चुनावों को भी ‘एक देश-एक चुनाव’ के अंतर्गत लाया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो 2023 में 11 राज्य के चुनाव तो उनकी विधानसभा समय सीमा अनुसार थोड़ा ऊपर-नीचे कर थोड़ा ऊपर-नीचे कर ही हो जाएंगे। बाकी बचे राज्यों में से सात राज्यों में 2024 में चुनाव होने हैं। इन्हें एक वर्ष पहले कराया जा सकता है। असल संकट उन राज्यों में होगा जहां सरकार का लंबा कार्यकाल बचा है। विशेषकर विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में इस प्रस्ताव का भारी विरोध होना तय है। जानकारों की मानें तो ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का दांव भाजपा को बड़ा राजनीतिक फायदा भी पहुंचा सकता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में लगभग साठ हजार करोड़ का खर्चा होने की बात सामने आई थी। ऐसे में भाजपा देश का धन और समय, दोनों को बचाने की बात सामने रख विपक्षी दलों के विरोध को कुंद कर सकती है। लोकसभा में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त है और राज्यसभा में भी एनडीए गठबंधन के पास सामान्य बहुमत है। ऐसे में संविधान में अपेक्षित संशोधन कराने में केंद्र सरकार को खास मुश्किल आने वाली नहीं है।
‘एक देश-एक चुनाव’ पर चर्चा फिर शुरू
