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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनकड़ के बीच तकरार काफी समय चली आ रही है। इस बीच दीदी के एक फैसले को लेकर कहा जा रहा है कि यह तकरार और बढ़ सकती है। दरअसल, ममता सरकार ने गत सप्ताह एक बड़ा फैसला किया कि अब प्रदेश में राज्य सरकार की ओर संचालित होने वाले विश्वविद्यालयों के चांसलर राज्यपाल नहीं बल्कि मुख्यमंत्री होंगे। इस फैसले को लेकर माना जा रहा है कि ममता सरकार के इस फैसले से राज्यपाल धनखड़ से तकरार और बढ़ेगी। ममता सरकार का कहना है कि अपने इस फैसले को लागू करने के लिए वह एक्ट में संशोधन करेगी। यह फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने दी है। गौरतलब है कि राज्यपाल धनखड़ ने कुछ दिनों पहले ममता सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने राजभवन की सहमति लिए बिना कई वाइस चांसलरों की नियुक्तियां की हैं। आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में राज्यपाल प्रदेश की ओर से संचालित 17 विश्वविद्यालयों के चांसलर हैं। इनमें कलकत्ता विवि, जाधवपुर विवि, कल्याणी विवि, विश्व भारती विवि, विद्यासागर विवि, बर्दवान विवि और नॉर्थ बंगाल विवि शामिल हैं। बीते जनवरी में धनखड़ ने आरोप लगाया था कि ममता सरकार ने 25 विवि में वाइस चांसलर की नियुक्ति बगैर उनकी सहमति से की है। वहीं ममता सरकार का कहना है कि सर्च कमेटी की ओर से चयनित वाइस चांसलर के नामों पर राज्यपाल को मंजूरी देनी चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करते तो शिक्षा विभाग को अपने फैसले पर आगे बढ़ने का अधिकार है।

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