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उत्तराखण्ड में भाजपा आलाकमान ने युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री तो बना डाला, लेकिन वरिष्ठ भाजपा नेताओं को धामी का नेतृत्व स्वीकार करा पाने में उसे सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है। वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत और रायपुर से विधायक उमेश शर्मा काऊ लगातार अपना असंतोष जता रहे हैं। ये तीनों ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेता हैं। दूसरी तरफ खांटी भाजपाई भी धामी की राह में नित नई मुसीबतें खड़ी करते नजर आ रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो अपनी ताजपोशी के बाद कड़क तेवर दिखाने वाले धामी की चाल सुस्त-पस्त पड़ती जा रही है। एक तरफ वरिष्ठ मंत्रियों का उन पर नाना प्रकार के कामों को लेकर भारी दबाव है, तो दूसरी तरफ चुनाव नजदीक आने के साथ ही नौकरशाही भी अपने रंग दिखाने लगी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो तेजी से बिगड़ रहे हालात को थामने के लिए ही महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को देहरादून आना पड़ा। धामी की ताजपोशी के पीछे कोश्यारी का हाथ बताया जाता है। उत्तराखण्ड में भाजपा को स्थापित करने वाले कोश्यारी का राज्य में भारी जनाधार है। कहा जाता है कि कोश्यारी बगैर भाजपा का उत्तराखण्ड में बेड़ा पार लगाने की कुवत किसी नेता में नहीं है। सूत्रों का दावा है कि कोश्यारी ने अपनी इस यात्रा के दौरान पार्टी के बड़े नेताओं को धामी संग तालमेल कर आसन्न चुनाव जीतने की रणनीति बनाने की सलाह तो दी ही, साथ ही धामी को भी सबको साथ लेकर चलने की कड़ी हिदायत दे डाली। कोश्यारी के समक्ष तो सभी नतमस्तक नजर आए लेकिन पार्टी भीतर गहराती जा रही गुटबाजी पर फिलहाल रोक लगने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

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