उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन दिनों खासे परेशान बताए जा रहे हैं। कारण है उनकी विधानसभा सीट खटीमा जहां से वे प्रदेश की पांचवीं विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। खटीमा में बतौर मुख्यमंत्री धामी ने करोड़ों की विकास योजनाएं शुरू की हैं। धामी की पत्नी पिछले पांच महीनों से घर-घर जनसंपर्क कर आम जनता की समस्याओं को समझ उन्हें दूर करने का कार्य कर रही हैं। धामी स्वयं भी अत्यंत मिलनसार और मृदभाषी होने के चलते क्षेत्र में खासे लोकप्रिय हैं। इस सबके बावजूद उनका टेंशन अपने चुनाव को लेकर दिनों दिन बढ़ने के समाचार आ रहे हैं। इसका कारण है प्रदेश के मतदाताओं द्वारा पूर्व में दो सीटिंग मुख्यमंत्रियों को चुनाव हरवा देना। भाजपा के कद्दावर नेता मेजर जनरल (रि) भुवन चन्द्र खण्डूड़ी 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को तो एंटी इन्कमबैंसी फैक्टर से बाहर निकाल पाने में सफल रहे थे लेकिन खुद अपनी सीट गवां बैठे थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में सीटिंग मुख्यमंत्री हरीश रावत दो सीटों से लड़े लेकिन एक से भी जीत दर्ज नहीं करा पाए थे। अब धामी बतौर सीटिंग सीएम मैदान में हैं। उनको भय सता रहा है कि कहीं उनके साथ भी खण्डूड़ी जैसा बर्ताव जनता न कर डाले। खण्डूड़ी 2012 के चुनाव से सात माह पूर्व डाॅ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के स्थान पर सीएम बनाए गए थे। उन्होंने उनको अपने सात माह के अल्पकाल में जबरदस्त बैटिंग कर भाजपा को फाइट में ला खड़ा किया था। ठीक वैसे ही त्रिवेंद्र रावत से नाराज जनता को मनाने के लिए भाजपा ने धामी को ठीक चुनाव पूर्व सीएम बनाया है। धामी ने भी खण्डूड़ी की भांति जबरदस्त बैटिंग कर भाजपा को दोबारा सरकार बनाने के मुहाने में ला खड़ा किया है। सूत्रों की मानें तो सीएम साहब भयभीत हैं कि कहीं प्रदेश की जनता एक बार फिर इतिहास न दोहरा दे। धामी के सामने एक बड़ा संकट उन पुराने भाजपा नेताओं को साधने का भी है जो उनके मुख्यमंत्री बनाए जाने के दिन से ही नाराज चल रहे हैं। ऐसे नेता भीतरघात के खेल को अंजाम दे सकते हैं। धामी इन सबके चलते खासे टेंशन में बताए जा रहे हैं।