बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार हों या फिर बिहार के ही दिवंगत नेता रामविलास पासवान, मौकारस्त राजनीति के मामले में इन दोनों से कहीं आगे पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा का परिवार है। कभी सेक्युलर तो कभी नॉन सेक्युलर राजनीतिक दलों के साथ सत्ता सुख भोगने वाला यह परिवार एक बार फिर से धर्मनिरपेक्ष ताकतों के कर्नाटक में गठबंधन से अलग हो भाजपा के करीब होता नजर आने लगा है। चर्चा जोरों पर है कि गौड़ा परिवार एक बार फिर से गुलाटी मारने की तैयारी में है। इस बार तो अफवाहों का बाजार पूर्व प्रधानमंत्री की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) के भाजपा में विलय तक की उड़ने लगी हैं। गौरतलब है कि पिछले दो दशकों में कर्नाटक की राजनीति का केंद्र बिंदु यही परिवार रहा है। पुत्रमोह में धृतराष्ट्र बन चुके देवगौड़ा ने अपने पुत्र एचडी कुमार स्वामी संग सभी प्रकार के संबंध तोड़ने की घोषणा तब कर डाली थी जब मुख्यमंत्री बनने के लालच में कुमार स्वामी ने भाजपा संग गठजोड़ कर 2006 में सरकार बना ली थी। इसके बाद जब भाजपा से संबंध बिगड़े तो कुमार स्वामी फिर से धर्मनिरपेक्ष बन पिता की शरण में ले गए। 2018 में उन्होंने कांग्रेस संग मिलकर सरकार बनाने में सफलता पाई। यह सरकार मात्र चौदह माह चल सकी। अब एक बार फिर से सत्ता खोने के बाद कुमार स्वामी भाजपा की तरफ झुक रहे हैं। उन्होंने येदुरप्पा सरकार को विधानसभा और विधानपरिषद् में समर्थन देने का एलान कर दिया है। पिता देवगौड़ा हाल-फिलहाल खामोश हैं।