उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मध्य कुछ तनाव की बात इन दिनों दिल्ली से लेकर लखनऊ तक के सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा का विषय है। कहा जा रहा है कि इसी के चलते पांच राज्यों में हो रहे चुनावों में योगी को प्रचार के लिए ज्यादा नहीं भेजा जा रहा है। पिछले दिनों एक सर्वे में प्रधानमंत्री मोदी के बाद सबसे लोकप्रिय नेता बतौर योगी को स्थान मिलने के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में कानाफूसी का दौर शुरू हो चला है कि उत्तर प्रदेश के सीएम की बढ़ती लोकप्रियता पार्टी आलाकमान को सुहा नहीं रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि गुजरात कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को उत्तर प्रदेश विधानपरिषद का सदस्य योगी के महत्व को कम करने की नीयत से बनाया गया है। शर्मा इन दिनों लखनऊ में एक बड़े पावर सेंटर के रूप में उभर रहे हैं। चर्चाओं के अनुसार पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल और डिप्टी सीएम केशव मोर्या संग इन दिनों शर्मा की गहरी छन रही है। पार्टी सूत्रों का यह भी दावा है कि 2022 में होने जा रहे राज्य विधानसभा चुनावों से पूर्व योगी मंत्रिमंडल में भारी फेरबदल होने की पूरी संभावना है। पार्टी नाराज चल रहे ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के लिए शर्मा को योगी मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी देने का मन बना चुकी है। इस बीच ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि योगी आदित्यनाथ की ‘हिंदू वाहिनी’ इन दिनों संगठन का उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में बड़े स्तर पर विस्तार करने में जुटी है।
योगी के लिए खतरे की घंटी
