राष्ट्रपति पद के चुनाव में द्रौपदी मुर्मू ने भारी मतों से जीत हासिल की है। उनके पक्ष में हुई क्रॉस वोटिंग ने विपक्षी एकता की कोशिशों पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्य विपक्षी दल के तौर पर कांग्रेस अपने घर को संभालने में नाकाम रही है। कई राज्यों में द्रौपदी मुर्मू को एनडीए के मतों से ज्यादा वोट मिले। कांग्रेस को सबसे ज्यादा चिंता गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस क्रॉस वोटिंग का बड़ा असर इन राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों पर सकता है। हिमाचल प्रदेश में पार्टी को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है लेकिन वहां मुर्मू को भाजपा के कुल मतों से दो मत ज्यादा मिले। गुजरात में भी एनडीए प्रत्याशी को 10 मत अधिक मिले हैं। यहां क्रॉस वोटिंग से साफ है कि कुछ और विधायक पाला बदल सकते हैं। मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। ऐसे में पार्टी को भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में भी बेहतर परिणाम आएंगे, लेकिन राष्ट्रपति पद के चुनाव में क्रॉस वोटिंग से पार्टी को एक बार फिर अपनी रणनीति पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। मध्य प्रदेश में एक दर्जन से अधिक विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है। राष्ट्रपति पद के चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। छत्तीसगढ़ में भी डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। असम में सबसे ज्यादा विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है जो पार्टी के लिए चिंताजनक है। राज्य में एनडीए के 79 विधायक हैं। जबकि वहां मुर्मू को 104 वोट मिले। यानी वहां विपक्ष के 25 विधायकों ने मुर्मू को वोट दिया है। महाराष्ट्र, झारखंड समेत कई और राज्यों में विपक्ष को जो झटका राष्ट्रपति चुनाव में लगा है उसे देख कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कई विधायक पाला बदल पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।
क्रॉस वोटिंग ने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता
