तेलंगाना के मुख्यमंत्री के ़ चन्द्रशेखर राव की छवि एक धर्मनिरपेक्ष नेता की रही है। कांग्रेस पार्टी से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले राव 1983 में तेलगुदेशम में शामिल हो गए थे। 2001 में अलग राज्य की मांग को लेकर उन्होंने टीडीपी का साथ छोड़ खुद की पार्टी बना डाली थी। 2004 के आम चुनाव उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लड़े। मनमोहन सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया लेकिन अलग तेलंगाना के मुद्दे पर कांग्रेस के रुख से नाराज राव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से 2006 में इस्तीफा दे डाला। राज्य गठन के बाद जून 2014 में वे नए राज्य के पहले सीएम बने। 2018 में उन्होंने मध्यावधि चुनाव करा डाले। एक बार फिर उनकी पार्टी को भारी बहुमत मिला और वे दोबारा मुख्यमंत्री बन गए।राज्य में कांग्रेस और तेलगुदेशम का जनाधार ध्वस्त करने वाले के ़चन्द्रशेखर राव को अब लेकिन भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रही है। राज्य के सबसे बड़े हैदराबाद के नगर निगम चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों को जीतने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष जे ़पी ़नड्डा ने इन निगम चुनावों की कमान स्वयं संभाल रखी है। गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सरीखे बड़े भाजपा नेताओं को नड्डा ने निगम चुनावों में प्रचार के लिए उतार स्पष्ट संकेत दे डाले हैं कि भाजपा का टारगेट के ़सी ़आर ़ के किले में सेंध लगाने का है। हैदराबाद नगर निगम राज्य का सबसे बड़ा और भारी-भरकम बजट वाला निगम है। इसके भीतर पांच लोकसभा और 25 विधानसभा सीटें हैं। भाजपा येन-केन प्रकारेण निगम में जीत करने को आतुर बताई जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हैदराबाद का नाम बदल भाग्यनगर करने की बात भाजपा ने हिंदु मतों के धु्रवीकरण की नीयत से उठाई है। पार्टी ओवैसी को ललकार कर इसी वोट बैंक को साधने में जुटी है। खबर है कि अलग तेलंगाना की मांग उठा जननायक बने के ़सी ़आर ़ का जादू अब राज्य में कम होने लगा है जिसके चलते उन्हें अपनी राजनीतिक जमीन खिसकने का भय इन दिनों खासा सता रहा है।