देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी भारी संकट के दौर से गुजर रही है। हालात इतने खराब हैं कि जहां एक तरह पार्टी के छत्रप खुलेआम बगावत पर उतरे आए हैं, तो दूसरी तरफ विपक्षी दल भी कांग्रेस को भाव नहीं दे रहे। हरियाणा में पार्टी के दिग्गज नेता भूपिन्दर हुड्डा ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा को राज्यसभा भेजने के निर्णय का खुला विरोध कर अपने बेटे दिपिन्दर हुड्डा को राज्यसभा प्रत्याशी बना डाला तो बिहार में राष्ट्रीय जनता दल ने खाली हो रही दो राज्यसभा सीटों में से एक सीट मांग रही कांग्रेस को साफ मना कर डाला।
राजद ने दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर डाले हैं। झारखण्ड में मुख्यमंत्री हेमेंत सोरेन कांग्रेस के राज्य प्रभारी आरपीएन सिंह को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने अपने पिता शिबू सोरेन को राज्यसभा भेजने का फैसला ले लिया। तमिलनाडु में डीएमके ने भी कांग्रेस को दरकिनार कर दिया है। तो असम में आईआईयूडीएफ के बदरूदीन अजमल ने कांग्रेस को समर्थन देने से साफ इंकार कर दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कैडर में इस सबके चलते भारी निराशा का माहौल है।