देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल कांग्रेस इस समय बदहाली के चरम दौर से गुजर रहा है। एक के बाद एक बड़े नेता वर्तमान पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मुखर तो हो ही रहे हैं, कई संगठन छोड़ भाजपा में शामिल तक हो चुके हैं। दस बरस तक केंद्र की सत्ता में काबिज रहा यूपीए गठबंधन भी अब बिखराव की तरफ बढ़ रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो इस गठबंधन के अस्तित्व को ही नकार दिया है। कांग्रेस के नेतृत्व में बने इस गठबंधन की बागडोर हाल-फिलहाल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में जरूर है लेकिन शरद पवार और ममता बनर्जी अब खुलकर एक नया विपक्षी फ्रंट बनाने की वकालत करने लगे हैं। ऐसे में कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए दक्षिण भारत से मदद के संकेत हैं। पिछले दिनों असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा का राहुल गांधी पर दिया गया आपत्तिजनक बयान तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को खासा क्रोधित करने वाला रहा। राव ने सरमा पर कठोरतम कार्यवाही की मांग प्रधानमंत्री मोदी से कर स्पष्ट इशारा कर दिया कि वे गांधी परिवार और कांग्रेस के साथ खड़े हैं। कभी यूपीए का हिस्सा रहे राव का इस गठबंधन में वापसी करना आने वाले समय में कांग्रेस नेतृत्व के लिए खासा मददगार साबित हो सकता है। दिल्ली के सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा है कि एक अन्य दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी पर्दे के पीछे रह खुलकर राहुल गांधी के पक्ष में बल्लेबाजी कर रहे हैं। गौरतलब है कि तमिलनाडु में कांग्रेस और डीएमके की गठबंधन सरकार है। राजनीतिक पंडित स्टालिन और राव की भूमिका को लालू प्रसाद यादव संग तोल रहे हैं। 1998 में सोनिया गांधी की राजनीति में इंट्री के बाद उनके विदेशी मूल को मुद्दा बनाया गया था। तब राजद प्रमुख लालू यादव ने भाजपा समेत हरेक ऐसे दल को मुंहतोड़ जवाब दे सोनिया गांधी को सहारा देने का काम किया था। लालू यादव ने सोनिया को विदेशी कहे जाने वालों को स्मरण कराया था कि भारतीय संस्कृति में बहू परिवार की इज्जत होती है। खबर जोरों पर है कि इस दफे जब गांधी परिवार पर संकट गहराने लगा है, लालू प्रसाद की भूमिका दक्षिण भारत के ये दोनों बड़े नेता उठाने जा रहे हैं।
दक्षिण भारत का बढ़ता कांग्रेस प्रेम
