तेलंगाना के मुख्यमंत्री के ़चंद्र शेखर राव इन दिनों विपक्षी दलों के मध्य एकता कायम करने में जुटे हुए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरह ही राव भी विपक्षी नेताओं संग ताबड़तोड़ मुलाकातें कर भाजपा के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन तैयार करने की वकालत करते घूम रहे हैं। दोनों मुख्यमंत्रियों के लक्ष्य में फर्क सिर्फ इतना है कि ममता ऐसे किसी भी गठबंधन का नेतृत्व स्वयं करना चाहती हैं। ममता किसी भी सूरत में कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं तो दूसरी तरफ राव का मानना है कि बगैर कांग्रेस ऐसा कोई भी गठबंधन संभव नहीं है। राव खुलकर गांधी परिवार के लिए बैटिंग भी कर रहे हैं। ऐसे में तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस के समक्ष भारी संकट आन खड़ा हुआ है। प्रदेश कांग्रेस के नेता तेलंगाना में चंद्रशेखर राव की पार्टी का जमकर विरोध करते आए हैं। दूसरी तरफ राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर से कांग्रेस के लिए काम करने लगे हैं। गत् दिनों पीके ने कांग्रेस आलाकमान संग मुलाकात कर संकेत दे डाले हैं कि हाशिए पर पहुंच चुकी कांग्रेस के लिए वह ‘संजीवनी’ तैयार करने जा रहे हैं। तेलंगाना के कांग्रेसी पीके की रिइन्ट्री चलते खासे संशय में हैं क्योंकि पीके चंद्रशेखर राव के लिए भी काम कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के तेलंगाना प्रभारी मनिक्कम टैगोर ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को भरोसा दिलाया है कि अगले वर्ष प्रस्तावित राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी पूरी ताकत से लड़ेगी लेकिन उनके इस कथन पर भरोसा करने को राज्य के नेता तैयार नहीं है। खबर जोरों पर है कि मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव संग तालमेल करने के बजाए प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता भाजपा की शरण में जाने को तैयार हैं।
तेलंगाना में बढ़ती कांग्रेस की दुविधा
