लोकसभा चुनाव में मिली हार और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे बाद से ही कांग्रेस प्रतिदिन नए संकटों से घिरती जा रही है। पार्टी के राज्यसभा में मुख्य संचेतक का यकायक भाजपा खेमे में चले जाना हो या फिर नए अध्यक्ष के नाम पर बड़े नेताओं की रार, एक के बाद एक समस्या दिनोंदिन कांग्रेस का जनाधार कम कर रही है। सोनिया गांधी ने भले ही कुछ समय के लिए पार्टी की कमान संभाली ली हो, अब क्षेत्रिय दलों का कांग्रेस संग मोहभंग एक नई मुश्किल बन रहा है। खबर है कि बिहार में पार्टी की पुरानी जोड़ीदार राष्ट्रीय जनता दल 2020 के विधानसभा चुनाव बगैर कांग्रेस गठबंधन लड़ने का मन बना चुका है। सूत्रों की माने तो स्वयं अंतर्कलह का शिकार राजद अब केंद्र सरकार से ज्यादा पंगा नहीं लेना चाह रहा है। पार्टी नेता तेजस्वी यादव को बताया जा चुका है कि यदि वे कांग्रेस संग गठबंधन जारी रखते हैं तो जेल में बंद लालू यदव की मुसिबतों में इजाफा हो सकता है। खबर यह भी है कि 370 अनुच्छेद को जम्मू-कश्मीर में समाप्त करने के बाद अब भाजपा अकेली ही राज्य में चुनाव लड़ने की तैयारियो में जुट गई है। अपने गठबंधन के साथी नीतीश कुमार पर भाजपा ज्यादा भरोसा करने को तैयार नहीं। उत्तर प्रदेश में भी सपा और बसपा जैसे मजबूत क्षेत्रिय दल कांग्रेस संग गठबंधन से पहले ही दूर हो चुके हैं। महाराष्ट्र में जरूर शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन सीटों के मुद्दे पर अभी गतिरोध जारी है।
कांग्रेस से मित्रों की बढ़ती दूरी
