उत्तर प्रदेश भाजपा में बतौर सबसे ताकतवर नेता पार्टी महासचिव सुनील बंसल का नाम लिया जाता है। बंसल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संबंध खास मधुर कभी नहीं रहे हैं। सरकार में यदि योगी का वर्चस्व है तो संगठन में बंसल का पलड़ा ज्यादा भारी है। बंसल दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेहद करीबी हैं। योगी और बंसल के मध्य एक तरह से अदावत का रिश्ता 2017 से ही बना हुआ है। लखनऊ के सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा है कि इस बार बंसल के चलते ही बड़ी संख्या में सीटिंग ठाकुर जाति के विधायकों का टिकट काटा गया। 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 90 के करीब ठाकुर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था जिसनमें से 56 चुनाव जीते थे। योगी ने अपने मंत्रिमंडल में 6 ठाकुरों को जगह दी थी। खबर गर्म है कि बंसल ने पार्टी आलाकमान को समझाया कि योगी के ठाकुर प्रेम के चलते अन्य जातियों के नेताओं में भारी नाराजगी है। साथ ही इन विधायकों में से आधे से अधिक की जनता में छवि खराब है। इसलिए इस बार अधिकतम 30 से 35 ठाकुर प्रत्याशी ही मैदान में उतारे जाने उचित होंगे। सूत्रों की माने तो योगी आदित्यनाथ बंसल के इस सुझाव के चलते बेहद नाराज हो उठे। उन्होंने अपने करीबियों संग वार्ता कर बंसल की इस राजनीति का पुरजोर विरोध करने का फैसला लिया। जानकारों का दावा है कि यदि बंसल की चली तो चुनाव बाद बहुमत आने की स्थिति में योगी के बजाए किसी ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री बनाए जाने का खेला जोर पकड़ेगा। योगी भी इसी चलते बंसल की इस रणनीति को हर कीमत पर समाप्त करने में जुट गए हैं।
योगी-बंसल में जारी टकराव
