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अस्सी के दशक में पूर्वोत्तर के राज्यों से निकल जिस एक चेहरे ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी वह थे पी ़ए ़ संगमा। वर्ष 1973 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष बने मेघालय के इस युवा नेता ने 1996 से 1998 तक लोकसभा अध्यक्ष रहते अपनी अलग छाप छोड़ी थी। भारत सरकार में मंत्री और मेघालय के मुख्यमंत्री रहे संगमा कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठा कांग्रेस छोड़ने वाले उन तीन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस का गठन किया था। 2004 में वे तृणमूल कांग्रेस का हिस्सा बन गए। जनवरी 2013 में उन्होंने मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी का गठन किया। इन्हीं संगमा के पुत्र कोर्नाड संगमा इस समय मेघालय के मुख्यमंत्री हैं। कोर्नाड एनपीपी के अध्यक्ष भी हैं। हालिया संपन्न मणिपुर विधानसभा चुनावों में एनपीपी ने आठ सीटों पर जीत दर्ज करा राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाने का काम किया है। मेघालय के साथ-साथ अरूणाचल प्रदेश में एनपीपी सरकार का हिस्सा है। मणिपुर में भी भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में वह शामिल थी। कोर्नाड का लक्ष्य पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में पार्टी को विस्तार देने का रहा है। जिस गति से वे अपने इस लक्ष्य को साधने के करीब पहुंच रहे हैं उससे एक बात स्पष्ट है कि एक बार फिर से एनपीपी को राष्ट्रीय दल की मान्यता मिलने में अब देर नहीं है। पूर्वोत्तर के राज्यों में एनपीपी पहली ऐसी क्षेत्रीय पार्टी थी जिसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था। हालांकि 2015 में उसको मिला यह दर्जा समाप्त हो गया था। अब एक बार फिर से एनपीपी अपनी जडं़े पूर्वोत्तर में मजबूत करती दिखाई दे रही है। जानकारों की मानें तो एनपीपी की बढ़ती ताकत ने भाजपा आलाकमान को अभी से सतर्क कर डाला है।

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