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महाराष्ट्र में यूं तो उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी है, लेकिन इसका असर विपक्ष की संयुक्त रणनीति पर पड़ता नजर आ रहा है। जिस तरह देश के बहुत कम ही प्रदेशों में गैर भाजपा सरकार बची है, उसने विपक्ष को रणनीतिक रूप से कमजोर कर दिया है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर कांग्रेस ने एक तरह से भाजपा का रास्ता रोकने की कोशिश की थी। लेकिन ताजा बदलावों के बाद कहा जा रहा है कि उसकी कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, विपक्ष ने अपने सिद्धांतों से समझौता करके भाजपा का रास्ता रोकने की तैयारी की थी। महराष्ट्र इस दिशा में सबसे बड़ा उदाहरण बनकर उभरा था। यहां पर कांग्रेस और एनसीपी ने अपने चिर-विरोधी शिवसेना से हाथ मिलाया था। इस रणनीति के पीछे सत्ता पाने का मकसद कम, बल्कि तेजी से हावी होती जा रही भाजपा को रोकने का इरादा ज्यादा था। लेकिन यहां पर शिवसेना विधायकों की बगावत ने इस ढाई साल पुराने प्रयोग को फेल कर दिया।

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