महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े उलटफेर के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले हफ्ते उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की एक मुलाकात ने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है। वैसे भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना में गिने-चुने लोग ही बचे हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी और पुरानी शिवसेना गिले-शिकवे भुलाकर एक बार फिर साथ आ सकते हैं। दोनों नेताओं की मुलाकात से बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि इनके संबंध खराब हैं। सदन में भी चर्चा के दौरान भाजपा नेता और मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने उद्धव ठाकरे से इशारों में साथ आने को कहा। सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि अभी कुछ नहीं बिगड़ा है, उद्धव जी एक बार फिर शांति से विचार करें। इस बयान को लेकर कहा जा रहा है कि उन्होंने संकेतों में उद्धव ठाकरे को साथ आने का न्योता दिया है। दरअसल, बीते साल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 40 विधायकों ने बगावत कर दी थी और फिर भाजपा के साथ सरकार बन गई। देवेंद्र फडणवीस को इस टूट-फूट का मास्टर माइंड माना जाता है। वहीं उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस का दामन थाम कर देवेंद्र फडणवीस की मुख्यमंत्री की कुर्सी हथिया ली थी। ऐसे में दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी छीनने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार मानते हैं। कभी दोस्त रहे दोनों नेता पिछले कुछ दिनों में एक-दूसरे की आलोचना के कारण चर्चा में रहे हैं। इसके बावजूद हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा में साथ-साथ हंसते-मुस्कुराते नजर आए और काफी देर तक गपशप करते रहे। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सावरकर को लेकर जो बयान दिया उसे लेकर उद्धव ने राहुल को सावरकर का अपमान नहीं करने की चेतावनी देते हुए कहा कि ‘सावरकर को नीचा दिखाने से विपक्षी गठबंधन में ‘दरार’ पैदा होगी। यह बात वार्निंग की नहीं है हमने अपना मत स्पष्ट किया है।’ उद्धव के इन बयानों को लेकर राज्य की सियासी हलचल तेज हो गई है।