किसी भी सेक्टर में एक कंपनी का एकाधिकार रोकने के उद्देश्य से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा प्रतिस्पर्धा आयोग (कम्पीटिशन कमीशन) की स्थापना की गई थी। पिछले 18 वर्षों के दौरान कई बार इस आयोग ने एकाधिकार के मुद्दे पर हस्तक्षेप किया लेकिन इन दिनों यह आयोग पूरी तरह ठप हो चला है। बजट सत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का मोदी सरकार पर ‘हम दो-हमारे दो’ का कटाक्ष इस कमीशन के गायब मोड में जाने की असल कहानी है। उदाहरण ‘हम दो-हमारे दो’ में शामिल गौतम अड़ानी समूह का दिया जा सकता है। यह समूह इस समय पूरे देश की परिवहन व्यवस्था पर अपना एकाधिकार स्थापित कर चुका है। देश के निजी क्षेत्र को सौंपे गए हवाई अड्डों को देखा जाए तो अधिकतर अड़ानी के पास हैं। यही हालत बंदरगाहों की भी है। स्पष्ट है एयर एवं सी यानी जल एवं वायु मार्ग में अड़ानी समूह पूरी तरह कब्जा कर चुका है। अब खबर है कि उसका अगला लक्ष्य रेलवे सेक्टर है। सरकार की नीति अनुसार रेलवे स्टेशनों, टेनों, रेल मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निजी निवेश होने जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि गौतम अड़ानी हर कीमत पर इन सभी को अपने नाम करने का इरादा रखते हैं। खबर यह भी है कि अड़ानी की निगाहें पेट्रोलियम गैस एवं ऊर्जा के सेक्टर पर भी लगी हैं। लेकिन यहां उसे कड़ी प्रतिस्पर्धा ‘हम दो’ में चिन्हित दूसरे उद्योगपति मुकेश अंबानी से मिलनी तय है। इस सबके बीच अटल सरकार द्वारा बनाया गया प्रतिस्पर्धा आयोग अपनी प्रासंगिकता को पूरी तरह खोता नजर आ रहा है।
गायब है कम्पीटिशन कमीशन
