तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने आम चुनाव से पहले संकल्प किया था कि वे कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को हरवाएंगी और उनका संकल्प भी पूरा हो गया। ऐसे में अब चौधरी की पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर भी खतरा मंडराने लगा है। असल में कांग्रेस किसी भी तरह से ममता के साथ तालमेल बनाए रखना चाहती है। चर्चा है कि संसद के अंदर तृणमूल कांग्रेस के साथ समन्वय के लिए कांग्रेस के बड़े नेता काम कर रहे हैं। यहां तक कि हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक पी चिदंबरम खुद इसके लिए पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए थे। वहां चिदंबरम ने राज्य सरकार के सचिवालय में जाकर ममता बनर्जी से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि इस बैठक में संसद की रणनीति बनी यानी फ्लोर कोऑर्डिनेशन के बारे में बात हुई। लेकिन सूत्रों की मानें तो यह पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि संसदीय रणनीति बनाने के लिए चिदंबरम को कोलकाता जाने की जरुरत नहीं थी। वह काम तो कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन में स्थित चौम्बर में हो जाता है। सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन यह काम कर लेते हैं। चिदंबरम कोलकाता गए इसका मतलब है कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच स्थायी तालमेल की बात हो रही है। इसमें अधीर रंजन चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष पद से हटना एक बड़ी शर्त हो सकती है। गौरतलब है कि ममता बनर्जी और अधीर रंजन चौधरी का विवाद नब्बे के दशक का है, जब दोनों कांग्रेस में थे। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प है कि कांग्रेस क्या करती है? पूरे देश में पार्टी और संगठन को पुनर्जीवित करने के अभियान पर निकले राहुल गांधी बंगाल के सबसे मजबूत कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को अध्यक्ष बनाए रखते हैं या ममता के साथ तालमेल के लिए उनकी बली चढ़ाते हैं।
चौधरी की हो सकती है छुट्टी
