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महाराष्ट्र में सियासी हलचल कम होती नहीं दिख रही है। अब नए कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के बीच हुई बैठक ने चर्चाएं बढ़ा दी हैं। हालांकि दोनों नेता इसे शिष्टाचार बैठक बता रहे हैं। खबर है कांग्रेस और शिवसेना नेता के बीच करीब आधे घंटे तक मुलाकात होती रही। खास बात यह है कि विश्वास मत के दौरान भी चव्हाण की गैरमौजूदगी भी चर्चा में रही थी। इसके बाद से कई अटकलें लगने लगीं हैं। राजनीतिक गलियारों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि अशोक चव्हाण कांग्रेस का हाथ छोड़ सकते हैं। ये अटकलें इसलिए भी लगाई जा रही हैं कि मंत्री अब्दुल सत्तार समीक्षा बैठक में शामिल होने के तुरंत बाद अशोक चव्हाण से मिलने उनके आवास पर गए। उन्होंने लगभग आधे घंटे तक एक कमरे में बात की, जहां किसी भी पार्टी कार्यकर्ता को अनुमति नहीं दी गई थी। हालांकि चव्हाण ने इस बैठक को लेकर लगाई जा रहीं अटकलों पर जवाब देते हुए कहा कि यह सत्तार की केवल शिष्टाचार भेंट थी। दो दलों के नेताओं के बीच बैठक में कुछ भी गलत नहीं है। दरअसल, हाल ही में चव्हाण के अपने पार्टी नेतृत्व से नाराज होने की खबरें आई थीं, जिसने उन्हें एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था क्योंकि वह नवगठित एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित थे। जिला प्रशासन के साथ समीक्षा बैठक के दौरान सत्तार ने अधिकारियों से अगले पांच दिनों में बारिश से हुई क्षति की घटनाओं के पंचनामा को पूरा करने को कहा था। गौरतलब है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और उनके दिवंगत पिता केंद्रीय मंत्री शंकरराव चव्हाण ने उन्हें राजनीति में मार्गदर्शन दिया है और सियासत के चलते उनके संबंध नहीं बदले हैं। खास बात है कि सत्तार भी शिवसेना में शामिल होने से पहले कांग्रेस का हिस्सा रह चुके हैं।चव्हाण के पास मराठवाड़ा और महाराष्ट्र की समझ है। वह किसानों के मुद्दों को भी भली-भांति समझते हैं।

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