उत्तराखण्ड के सत्ता गलियारों में इन दिनों चौतरफा चर्चा भाजपा सरकार की विदाई और कांग्रेस की आमद को लेकर हो रही है। अधिकतर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा सरकार से नाराज मतदाता ने इस दफा कांग्रेस को सत्ता में लाने का मन अर्सा पहले ही बना लिया था। इसे भांप कर ही भाजपा आलाकमान ने राज्य में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलने का दांव चला लेकिन तीरथ रावत को मात्र चार माह के भीतर हटा एक और नया सीएम देने के चलते यह दांव बैकफायर कर गया। देहरादून के सत्ता गलियारों में खबर गर्म है कि राज्य के नौकरशाहों ने भी रंग बदलना शुरू कर दिया है। सूत्रों की माने तो कुछ नौकरशाहों ने तो मुख्यमंत्री धामी तक के कई आदेश मानने से इंकार कर डाला है। चर्चा जोरों पर है कि किसी मसले पर मुख्यमंत्री की अपने प्रमुख सचिव आंनदबर्धन संग तीखी तकरार तक हो गई। प्रदेश के वित्त सचिव अमित नेगी ने भी सीएम कार्यालय की कुछ फाइलों पर प्रतिकूल टिपप्णी कर डाली है। इतना ही नहीं सीएम की इच्छा विरूद्ध चुनाव आयोग के निर्देश पर आबकारी आयुक्त बने नीतिन भदौरिया ने अपने पूर्ववर्त्ती अधिकारी हरीश चन्द्र सेमवाल के कई निर्णयों पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि सेमवाल पर सीएम धामी के करीबी होने का ठप्पा है। राज्य सचिवालय में इन दिनों भारी अफरातफरी का माहौल होने के समाचार भी सुने जा रहे हैं। वर्तमान सरकार के करीबी रहे अफसर कांग्रेस में मौजूद अपने संपर्कों संग रिश्ते सुधारने में जुट गए हैं।
बदली-बदली सी नौकरशाही
