पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एक जमाने में सोनिया गांधी के वफादारों में गिने जाते थे। वक्त का मिजाज बदला, गांधी परिवार केंद्र में कांग्रेस की सत्ता जाते ही कमजोर हुआ तो पार्टी भीतर उनके खिलाफ बगावती स्वर मुखर होने लगे। बदलते वक्त के साथ जिन वफादारों ने अपनी वफादारी छोड़ी उनमें सबसे आगे पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह बताए जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो अमरिंदर सिंह को सही टैªक में लाने की जिम्मेदारी पार्टी आलाकमान ने केंद्रीय महासचिव हरीश रावत को सौंपी थी। राज्य का प्रभारी बनाए जाने के बाद रावत कुछ समय तक पंजाब में खासे सक्रिय रहे। उन्होंने कैप्टन और नवजोत सिंह सिद्धू को एक करने के भरकस प्रयास किए। रावत की पहल पर सिद्धू ने कैप्टन संग कई बार मुलाकात भी की लेकिन कैप्टन की हठधर्मिता चलते बात बन नहीं पाई। खबर गर्म है कि अब राहुल गांधी के करीबी समझे जाने वाले नेताओं ने मुख्यमंत्री संग दो-दो हाथ करने का फैसला कर लिया है। खबर यह भी जोरों पर है कि इन नेताओं को इसके लिए पार्टी हाईकमान की तरफ से हरी झंडी में मिल चुकी है।
कैप्टन का खेमा काफी अर्से से यह कहता आ रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस छोड़ आम आदमी पार्टी में जाने वाले हैं। सिद्धू ने खुलेतौर पर अमरिंदर सिंह से इस आरोप को साबित करने को कह डाला है। राहुल के करीबी नेता राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने भी अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत करते हुए उन्हें 45 दिनों के भीतर-भीतर गुरूग्रंथ साहिब का अपमान करने वालों को पकड़ने अथवा नतीजा भुगतने की चेतावनी दे डाली है। जानकारों का दावा है कि पार्टी आलाकमान अगले बरस होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पूर्व अमरिंदर सिंह पर बड़ी कार्यवाही का मन बना रहा है।