मिशन 2024 को लेकर हाल ही में एक सर्वे सामने आया है। सर्वे के आंकड़े पीएम मोदी और बीजेपी की टेंशन बढ़ाने वाले हैं क्योंकि इसमें नरेंद्र मोदी और अमित शाह का सबसे बड़ा तिलिस्म कमजोर होता नजर आ रहा है। सर्वे के मुताबिक 52 फीसदी वोटों के साथ पीएम मोदी अगले लोकसभा चुनाव के लिए पहली पसंद बने हुए हैं। लेकिन बीजेपी को 284 सीटें मिलती दिखाई गई हैं, वहीं सहयोगियों को 14 सीटें दी गई हैं। इस तरह एनडीए की सीटें 298 पहुंच रही हैं। एनडीए का वोट शेयर 43 प्रतिशत है, जो कि छह महीने पहले अगस्त 2022 में किए गए सर्वे के 41 से 2 प्रतिशत ज्यादा है। मगर सीटों के आंकड़े देखें तो एनडीए को बड़ा झटका लगता दिखाई दे रहा है। 2019 में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए ने 353 सीटें जीती थीं। एनडीए की सीटों में गिरावट बीजेपी के लिए खतरे की घंटी समान है। साथ ही कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की सीटें पिछले चुनाव में 91 के दो अंकों के आंकड़े से तीन अंकों में पहुंच गई है। यूपीए को 153 सीटों के साथ 30 फीसदी वोट मिलते दिखाए गए हैं। ये वे आंकड़ें हैं जो लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश में जुटी बीजेपी को चिंतित कर सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी चिंता उसके सबसे बड़े तिलिस्म के दरकने को लेकर होगी। खास बात यह है कि सर्वे में अनुच्छेद 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर भी सवाल किया गया था। इन दोनों मुद्दों पर क्रमशः 14 और 12 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार का समर्थन किया है यानी पीएम मोदी को पसंद करने वाले 52 फीसदी लोगों में हिंदुत्व के मुद्दे पर बस इतना ही समर्थन हासिल है जो बीजेपी के लिए सबसे बड़ी टेंशन है। आंकड़ों को देखा जाए तो बीजेपी के हार्डकोर वोटर और राहुल गांधी को पसंद करने वाले वोटर लगभग बराबर हैं। राहुल गांधी को भी 14 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया है। इसका सीधा मतलब है कि विचारधारा से परे बीजेपी के पास बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता हैं, जो दूसरी तरफ जा सकते हैं।
मोदी-शाह का टूटता तिलिस्म
