सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे परंपरावादी हैं। वे चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में चली आ रही व्यवस्थाओं को बनाए रखा जाए। गत् सप्ताह लेकिन अपनी इस सोच के चलते वे कुछ ऐसा कह गए जो उनके ही एक पूर्व में दिए गए निर्णय से मेल नहीं खाता। एक वकील ने जब चीफ जस्टिस साहब को ‘योअर ऑनर’ कह संबोधित किया तो न्यायमूर्ति बोबडे ने उन्हें रोकते हुए कहा कि क्या वे अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में बहस कर रहे हैं या भारत की? उन्होंने वकील साहब को याद दिलाया कि भारत में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों को ‘योअर लार्डशिप’ कह संबोधित किए जाने की परंपरा है। सुप्रीम कोर्ट में उनके इस कथन पर खासी चर्चा शुरू हो चुकी है। कारण है 2014 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एचएच दत्तु की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने व्यवस्था दी थी कि वकील जो भी संबोधन से पीठ को संबोधित करना चाहते हैं, कर सकते हैं। न्यायमूर्ति बोबडे भी इस पीठ के सदस्य थे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रविंदर भट्ट ने कुछ अर्सा पहले ही वकीलों से अनुरोध किया था कि उन्हें ‘योअर लार्डशिप’ कह न पुकारे। लेकिन चीफ जस्टिस चाहते हैं कि यह परंपरा बनी रही।