हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और कर्नाटक चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को मिली बंपर जीत के बाद महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार बैकफुट पर है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को यह लगता है कि फिलहाल जनता की सहानुभूति उद्धव ठाकरे खेमे के साथ है। ऐसे में वह बीएमसी चुनाव को जल्द कराने का जोखिम नहीं लेना चाहती है। उन्हें लगता है कि ऐसा हुआ तो बीएमसी में बड़ा नुकसान हो सकता है। अब तक यह कहा जा रहा था कि बीएमसी चुनाव आगामी अक्टूबर महीने में कराए जा सकते हैं। लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि इन्हें अगले साल की शुरुआत में कराया जाएगा। इसके पीछे सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि शिंदे-फडणवीस सरकार उद्धव ठाकरे के प्रति पैदा हुई सहानुभूति लहर के खत्म होने का इंतजार करेगी। साथ ही इस बात का भी इंतजार करेगी कि महाविकास अघाड़ी में कुछ दरार पैदा हो। एकनाथ शिंदे गुट के एक नेता की मानें तो बीजेपी भी बीएमसी चुनाव कराने में जल्दबाजी नहीं करना चाहती है। इसलिए अब यह चुनाव टलने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में जिस तरह से तत्कालीन राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं साथ ही शिंदे सेना के भरत गोगावले की नियुक्ति पर सवाल उठाए गए हैं। वह शिंदे खेमे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। महाराष्ट्र की 23 महानगरपालिका और 26 जिला परिषद में होने वाले चुनाव फिलहाल होने के इंतजार में हैं। बीते दो साल से इन जगहों पर प्रशासक जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इन चुनावों के संदर्भ में दर्जनों याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। कई जगहों पर याचिकाओं की वजह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। वहीं कोर्ट के आदेश से उद्धव ठाकरे गुट को नई ऊर्जा मिली है। इस दौरान महाविकास अघाड़ी के संयोजक शरद पवार के घर पर तीनों दलों की मीटिंग हुई है। ऐसे में महाविकास अघाड़ी के गठजोड़ के सामने शिंदे-फडणवीस सरकार के पास स्थानीय निकाय चुनाव को आगे बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं
फिर टल सकते हैं बीएमसी चुनाव
