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केंद्र में चार बरस सत्ता सुख भोग चुकी भारतीय जनता पार्टी के लिए ऊपरी तौर पर भले ही गर्व और संतोष करने वाली कई बातें हैं, आने वाले समय में उसका चढ़ता ग्राफ एक झटके में गिर भी सकता है। ऐसा मानना है सीएसडीएस -लोकनीति द्वारा कराए गए सर्वेक्षण का। देश के मिजाज को समझने के लिए हुए इस सर्वेक्षण के अनुसार भाजपा की लोकप्रियता में सात फीसदी गिरावट दर्ज हुई है तो कांग्रेस की तीन फीसदी बढ़ी है। गांवों में तो भाजपा का हाल ज्यादा खराब है। मई २०१७ में जहां गांवों में भाजपा को छियालीस प्रतिशत का समर्थन प्राप्त था तो मई २०१८ में वह द्घटकर मात्र सैंतीस प्रतिशत रह गया है। सत्तावन प्रतिशत लोगों का कहना है कि पिछले चार बरसों में रोजगार के अवसर कम हुए हैं। दलित और आदिवासियों के बीच भी भाजपा का जनाधार द्घटा है। मई २०१७ में तैंतीस फीसद दलित भाजपा समर्थक थे जो इस वर्ष द्घटकर मात्र तेईस फीसद रह गए हैं। गत्‌ वर्ष उन्तालीस प्रतिशत आदिवासी भाजपा के पक्ष में थे जो वर्तमान में मात्र छत्तीस फीसद रह गए हैं। इसी अवधि में कांग्रेस का ग्राफ आदिवासियों के बीच बाइस प्रतिशत से बढ़कर अड़तीस प्रतिशत हो गया है। इतना ही नहीं भाजपा का सांलिड वोट बैंक कहे जाने वाले व्यापारी वर्ग में भी उसकी लोकप्रियता दस प्रतिशत कम होकर चालीस प्रतिशत रह गई है तो कांग्रेस की सात प्रतिशत बढ़कर बत्तीस प्रतिशत हो गई है। किसानों में भी भाजपा के प्रति रुझान में भारी कमी आई है। सीएसडीएस-लोकनीति के अनुसार हिन्दुओं में बयालीस प्रतिशत २०१९ में भाजपा की सरकार नहीं चाहते। छप्पन फीसद सिख, बासठ फीसदी ईसाई और ७५ प्रतिशत मुस्लिम भी २०१९ में भाजपा के खिलाफ हैं। खबर है कि इस सर्वेक्षण के बाद से ही विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस में खासे उत्साह का समाचार है।

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