जैसे-जैसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे राज्य की राजनीतिक आबोहवा भी बदलती जा रही है। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा अपने नाराज लिंगायत नेताओं को मनाने में लगी है और यह भी कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद पार्टी उन तमाम लिंगायत नेताओं को मना कर पार्टी में वापस लाएगी, जो किसी वजह से पार्टी छोड़ गए हैं। सूत्रों के मुताबिक अपने तीन दिन के कर्नाटक दौरे के पहले दिन यानी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के साथ अमित शाह ने एक बैठक भी की थी। असल में विधानसभा चुनाव से पहले कई बड़े लिंगायत नेता पार्टी छोड़ गए हैं। इससे भाजपा के आला नेता चिंता में हैं। उनको विधानसभा से ज्यादा चिंता अगले लोकसभा चुनाव की है। गौरतलब है कि भाजपा के बड़े लिंगायत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने पार्टी छोड़ी है। दोनों नेताओं का लिंगायत समुदाय में अच्छा असर है। कम से कम अपने जिले में दोनों नेता वोट प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन भाजपा को इन नेताओं से अब भी उम्मीद है। तभी पार्टी के नेता शेट्टार या सावदी पर हमला कर नहीं कर रहे हैं। उधर से शेट्टार ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह या पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को निशाना नहीं बनाया है। उनके निशाने पर सिर्फ भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष हैं। इसी वजह से भाजपा नेता उम्मीद कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद इन नेताओं को मना कर पार्टी में वापस लाया जा सकता है। विधानसभा चुनाव का नतीजा चाहे जो हो उसके बाद लोकसभा चुनाव में इन नेताओं की ज्यादा जरूरत है। बताया जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को अंदाजा है कि दिल्ली से राजनीति करने वाले बीएल संतोष या केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी लोकसभा चुनाव नहीं जीता सकते हैं।