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भाजपा चाहे लाख दावा करे उत्तर प्रदेश में पार्टी की स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है। हालात इतने विकट हो चले हैं कि एनडीए के छोटे-छोटे घटक दल भी अब भाजपा आलाकमान को आंखें दिखाने लगे हैं। सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा है कि गत् दिनों लखनऊ में एनडीए की एक प्रेस कांफ्रेंस से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भाजपा नेतृत्व को भारी सांसत में डालने का काम कर डाला। जानकारों की मानें तो भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभारी धर्मेंन्द्र प्रधान के साथ-साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा इस प्रेस काॅन्फ्रेंस के लिए सजे मंच पर विराजमान हो चुके थे कि एक खबर ने मंच में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया। दरअसल, अपना दल (सोनेवाल) गुट की नेता अनुप्रिया पटेल ने यह शर्त रख दी कि उनकी पार्टी के लिए टिकटों की संख्या को भाजपा नेतृत्व जब तक तय नहीं करेगा वे इस प्रेस काॅन्फ्रेंस में नहीं शामिल होंगी। सूत्रों की मानें तो अनुप्रिया की तत्काल हाॅटलाइन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात कराई गई। शाह ने 18 सीटें अपना दल और 10 सीटें संजय निषाद की पार्टी को देने का जब आश्वासन दिया तभी अनुप्रिया मंच पर चढ़ीं। खबर गर्म है कि भाजपा आलाकमान अनुप्रिया और संजय निषाद के आगे सर्मपण करने के लिए केवल इसलिए राजी हुआ, क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने के बाद से ही ओबीसी मतदाताओं का झुकाव सपा की तरफ होता उसे नजर आने लगा है। ऐसे में अनुप्रिया और संजय को नाराज करने का खतरा उठाने की कुवत भाजपा के पास है नहीं। इसके चलते बनारस की अपनी दो सीटें तक अनुप्रिया के हवाले करने के लिए पार्टी नेतृत्व को हामी भरनी पड़ी है।

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