पिछले सात बरसों के दौरान भाजपा ने ‘आयराम-गयाराम’ की राजनीति को जमकर खेला। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही विपक्षी दलों के कई दिग्गजों ने भाजपा की शरण जाने में ही अपनी भलाई समझी। इन नेताओं को भाजपा ने ‘खुले दिल’ से स्वीकारा भी। भाजपा के इस खेल का शिकार सबसे ज्यादा कांग्रेस हुई। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा को भी इस सेंधमारी के चलते खासा नुकसान हुआ। अब लेकिन टेड बदलता नजर आ रहा है। गत् दिनों उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री यशपाल आर्या और उनके विधायक पुत्र संजीव मय समर्थकों के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। जैसे-जैसे पांच राज्यों में अगले बरस होने जा रहे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, भाजपा छोड़ अन्य दलों में जाने वालों की संख्या बढ़ने की खानाफूसी जोर पकड़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश में इन दिनों खासी चर्चा है कि एक बड़े भाजपा नेता जल्द ही सपा में शामिल हो जाएंगे। इन नेता जी का खासा जनाधार तो है ही, ये खांटी भाजपाई न होकर, बसपा से भाजपा में गए नेता बताए जा रहे हैं। खबर जोरों पर है कि योगी सरकार में हाशिए पर डाल दिए गए इन नेता जी ने अपने समर्थकों को लखीमपुर खीरी घटना पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहने का इशारा कर दिया है। सूत्रों की माने तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी इन नेता को गले लगाने के लिए तैयार हैं। पेंच लेकिन उनकी एक डिमांड के चलते फंसा हुआ है। नेताजी चाहते हैं कि सपा सरकार बनने पर उन्हें डिप्टी सीएम बनाया जाए। अखिलेश लेकिन इसे मानने को तैयार नहीं। खबर गर्म है कि यदि अखिलेश मान गए तो ठीक अन्यथा किसी मलाईदार मंत्रालय पर अखिलेश की हामी मिलते ही ये नेता भगवा त्याग एक बार फिर से धर्मनिरपेक्ष हो जाएंगे।