नई दिल्ली। ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को अहसास हो गया है कि केंद्र सरकार के प्रति मजदूरों की बढ़ती नाराजगी भविष्य में पार्टी के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। यही वजह है कि अब डैमेज कंट्रोल के तौर पर उनके घावों पर मलहम लगाने की बातें भी होने लगी हैं।
दरअसल, लाॅकडाउन के बाद मजदूरों में घर वापसी की जो छटपटाहट दिखाई दी उसके साफ संकेत हैं कि सरकार और देश की व्यवस्था पर उनका कोई भरोसा नहीं रहा। भुखमरी को अपने दरवाजों पर दस्तक देते देख उनकी बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक थी। यही वजह है कि वे महानगरों से अपने परिजनों के साथ सैकड़ों किलोमीटर पैदल सफर करने को विवश हुए। भूख-प्यास की परवाह न करते हुए वे पैदल ही दिन-रात रास्तों पर चलते रहे, लेकिन इसमें भी उन्हें जगह-जगह पुलिस-प्रशासन की जो प्रताड़तना झेलनी पड़ी, जो अपमान सहन करना पड़ा उसे वे कभी भूल नहीं पाएंगे।
शायद भाजपा नेताओं को लगने लगा है कि देश के कुछ राज्यों में जल्दी ही होने वाले विधानसभा चुनावों और आगामी लोकसभा चुनाव में मजदूरों की परेशानी बड़ा मुद्दा बन सकता है। कांग्रेस तो अभी से इस मुद्दे पर उसे घेरने लगी है। लिहाजा पार्टी नेता अब डैमेज कंट्रोल के तौर पर मजदूरों घावों पर मलहम लगाने की कोशिशें करने लगे हैं। इस बीच मध्य प्रदेश की पूर्वी मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती के एक बयान को इसी नजरिये से देखा जा रहा है। प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर दुख जताते हुए उमा भारती ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार व भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में कहा है कि प्रवासी मजदूरों के लिए मार्गों में ठीक वैसी ही व्यवस्थाएं की जाएं जैसे कि शिवभक्त कावड़ियों के लिए होती हैं।