पश्चिम बंगाल में भाजपा संगठन बदहाली के दौर से गुजर रहा है। 2021 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव बाद से ही प्रदेश संगठन में आंतरिक कलह बढ़ने लगी थी जो अब चरम पर पहुंच चुकी है। इन चुनावों में पार्टी को 38 फीसदी मत मिला था। हालांकि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के दावे हवा-हवाई साबित हुए थे लेकिन पार्टी का प्रदर्शन ठीक ठाक रहा। 294 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा के 69 विधायक हैं। लोकसभा की 42 सीटों में से 17 भाजपा के पास हैं। इसके बावजूद भाजपा आलाकमान प्रदेश संगठन में बिखराव को रोक नहीं पा रहा है। बाबुल सुप्रियो समेत कई बड़े चेहरे पार्टी छोड़ तृणमूल का हिस्सा बन चुके हैं। संगठन भीतर कलह का एक बड़ा कारण तृणमूल एवं कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए वे नेता हैं, जिन्हें पुराने भाजपाई स्वीकारने को तैयार नहीं है। प्रदेश भाजपा कार्यकारणी के पुनर्गठन बाद यह कलह ज्यादा तेज हो चली हैं। कई वरिष्ठ भाजपाई नेताओं ने इस पुनर्गठन का विरोध करते हुए प्रदेश भाजपा के सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्मों से खुद को हटा डाला है। अब ये नेता संगठित हो प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ ख्ुाले तौर पर मैदान में उतर आए हैं। इस आंतरिक रार से आतंकित हो भाजपा आलाकमान ने गत् दिनों प्रदेश भाजपा के सभी संगठनों को भंग कर डाला। खबर जोरों पर है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की तर्ज पर एक अन्य बड़े भाजपा नेता आने वाले कुछ दिनों में तृणमूल का दामन थामने जा रहे हैं। खबर यह भी गर्म है कि इन महाशय के भाजपा छोड़ते ही कई अन्य बड़े चेहरे भी पार्टी को छोड़ सकते हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा नेतृत्व ने इसी के चलते राज्य इकाई से जुड़े सभी संगठनों को भंग करा है ताकि असंतुष्ट नेताओं से बातचीत कर उन्हें इन संगठनों की जिम्मेदारी दी जा सके।
बंगाल में बेहाल भाजपा
