कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा जल्द से जल्द अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करना चाह रहे हैं। उनके मंत्रिमंडल में सात पद लंबे अर्से से खाली चल रहे हैं। 225 सदस्यों वाली विधानसभा में अधिकतम 34 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। वर्तमान में राज्य में 27 मंत्री हैं। इनमें से 10 मंत्री वे हैं जिन्होंने कांग्रेस से बगावत कर भाजपा की सदस्यता लेकर तत्कालीन कुमार स्वामी सरकार को गिराने और येदियुरप्पा की ताजपोशी कराने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया था। खांटी भाजपाई नेताओं में इन पूर्व कांग्रेसियों को लेकर बड़ा असंतोष है। साथ ही सीएम येदियुरप्पा का इन पूर्व कांग्रेसियों पर ज्यादा भरोसा करना भी प्रदेश भाजपा के पुराने चावलों को रास नहीं आ रहा है। खबर है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी येदियुरप्पा से खास खुश नहीं है। पार्टी आलाकमान से सलाह मशविरा किए बगैर ही महत्वपूर्ण फैसले करने की येदियुरप्पा स्टाइल दिल्ली दरबार को खासी अखरती आई है। यही कारण है कि सीएम के बार-बार कहने बाद भी पार्टी नेतृत्व उन्हें राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार करने की इजाजत नहीं दे रहा है। नवंबर में दिल्ली आए सीएम को आलाकमान ने प्रभारी महासचिव अरुण सिंह से सलाह लेने का कहा था। इस सप्ताह जब अरूण सिंह बैगलेस पहुंचे तो उन्होंने मंत्रिमंडल के विस्तार का मामला वापस दिल्ली दरबार की तरफ कर डाला। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आलाकमान 77 बरस पूरे कर चुके सीएम को हटा कर किसी युवा को राज्य की बागडोर सौंपना चाहता है लेकिन उसे येदियुरप्पा के बागी हो जाने का डर सता रहा है। सूत्रों का दावा है कि सीएम किसी भी सूरत में गद्दी छोड़ने को तैयार नहीं है इसलिए वे खुद की कुर्सी बचाने के लिए प्लान भी तैयार कर बैठे हैं। यदि पार्टी आलाकमान उन्हें हटाने का निर्णय लेता है तो वे अलग दल बना सकते हैं। कर्नाटक की राजनीति को समझने वाले दावा कर रहे हैं कि जल्द ही राज्य मंे राजनीतिक भुचाल एक बार फिर से आने जा रहा है।