छत्तीसगढ़ में भाजपा ने संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए पार्टी राज्य के ओबीसी वर्ग को साधने की रणनीति के काम में जुट गई है। प्रदेश में करीब 2.5 करोड़ की आबादी का लगभग 47 फीसदी ओबीसी वर्ग है। सांसद अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने के पीछे सीधे तौर पर एक बड़ा वोट बैंक को साधने की रणनीति माना जा रहा है। दरअसल नए प्रदेश अध्यक्ष बने अरुण साव साहू समाज से ताल्लुक रखते हैं, जो प्रदेश में ओबीसी वर्ग में सबसे ज्यादा है। ओबीसी की आबादी 47 फीसदी है, जो राज्य के हर चुनाव में किंगमेकर की भूमिका में होते हैं। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने ओबीसी चेहरे पर दांव खेला है। भाजपा ने साव को जिम्मा सौंपकर प्रदेश में गुटबाजी रोकने की कोशिश भी की है। प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में ओबीसी मतदाता भाजपा से कांग्रेस की ओर चले गए हैं। पार्टी को इसी कारण से राज्य की सत्ता खोनी पड़ी। अब भाजपा को फिर से सत्ता पर आने के लिए प्रदेश में मजबूत ओबीसी चेहरे की जरूरत थी। इसलिए पार्टी ने अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुना। साव का नाम भाजपा के नए अध्यक्ष के रूप में सामने आना यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पार्टी अब प्रदेश के ओबीसी मतदाताओं को साधने में लगी है।
गुटबाजी खत्म करने में जुटी भाजपा
