कांग्रेस के प्रवक्ता अक्सर भाजपा को ढ़ाई नेताओं की पार्टी कह पुकारते हैं। ढाई में दो पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह तो आधा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के लिए विपक्षी दल प्रयोग में लाते हैं। पिछले दिनों हुए मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल बाद अब कई बड़े भाजपा नेता भी विपक्ष की भाषा ऑफ द रिकॉर्ड बोलने लगे हैं। ऐसे नेताओं का मानना है कि पार्टी पूरी तरह से दो नेताओं के हाथों कठपुतली बन चुकी है। अटल- आडवाणी के समय पार्टी का संसदीय बोर्ड खासा ताकतवर हुआ करता था। अब इस पार्टी फोरम की चमक समाप्त हो चली है। हालात इतने खराब है कि पिछले कई वर्षों से इसका न तो पुर्नगठन किया गया है न ही इसमें रिक्त हुए पदों को भरा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और अनंत कुमार की मृत्य हुए अर्सा हो गया है। दोनों ही इस संसदीय बोर्ड के सदस्य थे। इनकी मृत्यु के चलते रिक्त स्थान अभी तक खाली पड़े हैं। एक अन्य सदस्य एक वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रति बने 4 बरस हो चुके हैं तो हालिया फेरबदल से पहले केंद्रीय मंत्री थावर चंद्र गहलोत को राज्यपाल बनाने के चलते एक और स्थान रिक्त हो चला है। पार्टी सूत्रों की माने तो वर्तमान नेतृत्व पार्टी की इस शीर्ष संस्था को जानबूझ कर कमजोर कर रहा है ताकि वह मनचाहे निर्णय बगैर किसी रूकावट के ले सके। रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावेडकर की केंद्रीय मंत्रिमंडल से विदाई को भी पार्टी के पुराने नेता इसी पैर्टन का हिस्सा करार दे रहे हैं। खबर गर्म है कि दोनों ही मंत्रियों को नए मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह से मात्र दो घंटा पहले त्यागपत्र देने को कहा गया ताकि मीडिया का ध्यान इनके त्यागपत्र से हटकर नए मंत्रियों के नामों में ज्यादा केंद्रित रहे। खबर यह भी जोरों पर है कि मोदी मंत्रिमंडल में अगली फेरबदल दो पुराने दिग्गजों की विदाई लेकर आएगी। ये दिग्गज हैं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी।
ढाई नेताओं की पार्टी बनती भाजपा
