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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह को हटाए जाने अथवा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की चर्चाओं का दौर दिल्ली के सत्ता गलियारों से बाहर निकल अब प्रदेश की राजधानी इम्फाल तक जा पहुंचा है। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व लम्बे अर्से से एन. बिरेन सिंह की मजबूत पकड़ चलते कड़ा फैसला लेने से हिचकिचा रहा है। गत् सप्ताह बिरेन सिंह ने यकायक ही विधायकों की बैठक बुला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक तरह से चुनौती देने का काम कर दिखाया। 18 नवम्बर को हुई इस बैठक में सत्तारूढ़ एनडीए के 45 विधायकों में से 27 विधयक मौजूद थे। इतना ही नहीं उनकी सरकार से समर्थन वापस ले चुकी एनपीपी पार्टी के 7 विधायकों में से 2 विधायक भी बैठक में शामिल हुए। 18 एनडीए विधायक जरूर इस बैठक में शामिल नहीं हुए। ये वही विधायक हैं जिन्होंने भाजपा आलाकमान को पत्र लिखकर सीएम को हटाने की मांग की है। सूत्रों की मानें तो बिरेन सिंह के तेवर खासे तल्ख थे। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री से राज्य में दोबारा लागू किए गए अफस्पा कानून को तुरंत हटाने की बात कह यह संकेत दे दिए कि यदि उनके खिलाफ पार्टी आलाकमान कुछ एक्शन लेने की सोच रहा है तो वे बागी हो सकते हैं। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि बिरेन सिंह के तेवरों ने भाजपा आलाकमान को सकते में डाल दिया है और हाल-फिलहाल मणिपुर में नेतृत्व परिवर्तन का उसका इरादा खटाई में पड़ गया है।

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