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उत्तराखण्ड में फिर आयाराम-गायाराम का खेल शुरू

उत्तराखण्ड भले ही भौगोलिक दृष्टि से बड़े प्रदेशों में गिना जाता हैए मात्र सवा करोड़ की जनसंख्या के चलते यहां की विधानसभा में केवल सत्तर सीटें हैं। राजनीतिक अखाड़े में हाल.फिलहाल तक केवल दो ही दल महत्वपूर्ण रहे हैं। इन दलों के कांग्रेस और भाजपा में दलबदल का खेल हरीश रावत के मुख्यमंत्रित्वकाल में जबरदस्त परवान चढ़ा। रावत के रहते अपने राजनीतिक मंसूबों को पूरा न होता देख कुछ खांटी कांग्रेसियों ने न केवल पार्टी बदल डालीए विचारधारा के स्तर पर सभी ने समझौता कर लिया। इन दलबदलुओं में पूर्व सीएम विजय बहुगुणाए रावत सरकार में ताकतवर मंत्री यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत समेत 9 विधायक शामिल थे। 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को इस दलबदल के चलते भारी झटका लगा। न केवल वह सत्ता से बेदखल हुईए उसके मात्र 11 नेता ही सदन पहुंच पाने में सफल हुए। दलबदलुओं को भाजपा ने पूरा सम्मान दिया। वर्तमान त्रिवेंद्र सरकार के नौ मंत्रियों में से पांच कांग्रेसी मूल के हैं। लेकिन इन मंत्रियों की जो मौज हरीश सरकार में थी त्रिवेंद्र सरकार में उसकी दस प्रतिशत भी नहीं होने के चलते इनके भीतर खासी बेचैनी पैदा होने की खबर है। जानकारों का दावा है कि इनमें से दो मंत्री कांग्रेस महासचिव हरीश रावत से लगातार संपर्क में हैं। इतना ही नहीं बागी हुए नेताओं में से तीन नेता जो भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत विधानसभा के सदस्य हैंए कांग्रेस में रि.एंट्री के लिए टीम राहुल की टीम के सदस्य संग संपर्क साधे हुए हैं। इस सबके बीच एक चैंकाने वाली चर्चा कांग्रेस खेमे के एक बडे़ नेता के पार्टी छोड़ भाजपा में जाने की चल रही है। कहा जा रहा है यदि इस वरिष्ठ नेता को भाजपा राज्यपाल का पद देने और उनके बेटे को विधानसभा का टिकट देने पर राजी हो जाती है तो चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस को जबरदस्त झटका लग सकता है। खबर यह भी है कि खांटी कांग्रेसी इस नेता का संघ के नेताओं संग लगातार बातचीत का दौर इन दिनों चल रहा है।

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