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कहा जाता है कि भाजपा भीतर जो कुछ होता है, उसमें कहीं ना कहीं संघ की भूमिका अवश्य रहती है। तीन राज्यों में मिली चुनावी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ सुगबुगाहट शुरू होने के पीछे भी संघ का हाथ माना जा रहा है। खबर गर्म है कि पार्टी का एक बड़ा वर्ग मानता है हिंदी पट्टी के राज्यों में मिली हार के पीछे दोनों पीएम और पार्टी अध्यक्ष का गुजराती होना है। तर्क दिया जा रहा है कि अमित शाह की कार्यशैली कॉरपोरेट शैली की होने के चलते कार्यकर्ता संगठन से दूर जा रहा है। सूत्रों की मानें तो संघ ने पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान का नाम आगे किया। हालांकि स्वयं शिवराज दिल्ली आने को तैयार नहीं बताए जा रहे हैं। संघ की एक पसंद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी हैं। संकट लेकिन यह कि पीएम मोदी किसी भी सूरत में गडकरी के हाथों में पार्टी कमान देने से रहे। एक नाम गृहमंत्री राजनाथ सिंह का भी चर्चा में हैं जो संघ के साथ-साथ मोदी को भी स्वीकार्य हो सकता है। बहरहाल चर्चा नए अध्यक्ष के नाम के बजाए शाह के हटाने को लेकर ज्यादा हो रही है। संघ की कार्यशैली को समझने वालों का दावा है कि इन चर्चाओं के पीछे संघ की सोची-समझी रणनीति का होना तय है।

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