केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जलवा अब उतार की तरफ जाता नजर आने लगा है। राजनीतिक हलकों में बड़ी चर्चा है कि पीएम मोदी और शाह के मध्य अब रिश्ते पहले जैसे प्रगाढ़ नहीं रह गए हैं। गुजरात में शाह के करीबी विजय रुपाणी को हटा भूपेंद्र पटेल की ताजपोशी के पीछे भी इसी फैक्टर का हाथ होने की बात उठी थी। दरअसल, गुजरात की राजनीति में राज्य की पूर्व सीएम और अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल संग अमित शाह की पटरी कभी ठीक से बैठी नहीं। भूपेन्द्र पटेल इन्हीं आनंदीबेन के शिष्य हैं, इसलिए रुपाणी को यकायक हटा पटेल की ताजपोशी होने के बाद शाह के रुतबे में आ रही कमी पर नाना प्रकार की चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। अब गपशप का केंद्र गत् दिनों शाह की दक्षिण भारत यात्रा है। ‘साउदर्न जोनल काउंसिल’ केंद्र सरकार द्वारा गठित एक परिषद् है, जिसका अध्यक्ष केंद्रीय गृह मंत्री होते हैं। इस परिषद् का जिम्मा दक्षिण के राज्यों की समस्याओं का निस्तारण करना है। हर वर्ष इस परिषद की बैठक दक्षिण के किसी एक राज्य में बुलाई जाती है, जहां का मुख्यमंत्री इस बैठक में बतौर उपाध्यक्ष मेजबानी करता है। गत् सप्ताह बुलाई गई बैठक में भाजपा शासित कर्नाटक और पुडुचेरी के सीएम तथा अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के उपराज्यपाल तो शामिल हुए लेकिन केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री गायब रहे। आंध्र प्रदेश के सीएम बतौर मेजबान जरूर बैठक में मौजूद थे। सत्ता गलियारों में अफवाहों का बाजार खासा गर्म है कि अब पार्टी और सरकार में अमित शाह की पकड़ कमजोर होती जा रही है। कहा तो यह भी जाने लगा है कि पीएम मोदी संग भी शाह के रिश्ते कमजोर हो चले हैं।
अलग-थलग पड़ते अमित शाह
