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समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रवि प्रकाश वर्मा ने अपने इस्तीफे का कारण पार्टी के भीतर की अंतर्कलह को बताया है। अब अटकलें तेज हो गई हैं कि वे कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी के लोग अंदर खाने इस बात को कबूल कर रहे हैं कि वर्मा के उनके साथ आने से एक बड़े कुर्मी वोट बैंक को साधने में वो कामयाब हो सकेगी। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले लखीमपुर खीरी के बड़े नेता और कुर्मी वोट बैंक में पकड़ रखने वाले रवि प्रकाश वर्मा के सपा छोड़ने पर समाजवादी पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है। पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कुर्मी वोट बैंक को साधने की एक बड़ी रणनीति के तहत इसको देखा जा रहा है। रवि प्रकाश वर्मा की पहचान कुर्मी के दिग्गज नेताओं में होती है। उनके समाजवादी पार्टी का दामन छोड़ने के साथ कांग्रेस में आने पर कांग्रेस को खीरी के अलावा आस-पास की कई लोकसभा सीटों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। सिर्फ खीरी लोकसभा की बात की जाए तो यहां करीब पिछड़े की 35 फीसदी आबादी में कुर्मी की संख्या सर्वाधिक है। रवि प्रकाश वर्मा
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं, उनके पिता बाल गोविंद वर्मा लखीमपुर खीरी लोकसभा क्षेत्र से 1962 से 1971 और फिर 1980 में सांसद चुने गए थे। कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो जाने पर उपचुनाव हुआ, जिसमें रवि प्रकाश की माता उषा वर्मा सांसद चुनी गई थी। इसके बाद वह 1984 से 1989 तक सांसद रहीं। रवि प्रकाश 1998 से 2009 तक सपा के सांसद रहे, इसके बाद में 2014 से 2020 तक वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं।

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