कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी के भाजपा में विलय के बाद अब पार्टी की नजर अपनी पुरानी सहयोगी अकाली दल पर है। अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इससे पहले उन्होंने अपनी पार्टी को लेकर कई सुधारों की घोषणा की। बताया जा रहा है कि अकाली दल और भाजपा के बीच वापस गठबंधन हो सकता है। भाजपा ने भले कैप्टन अमरिंदर सिंह या इकबाल सिंह लालपुरा जैसे सिख चेहरों को आगे किया है लेकिन उसको पता है कि सिख उसके साथ नहीं जुड़ेंगे। उसे हिंदू वोटों की राजनीति करनी होगी। इसके लिए उसके पास सुनील जाखड़ का चेहरा है, जो कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए हैं। कैप्टन के साथ उनकी काफी नजदीकी भी है। ऐसे में कहा जा रहा है कि भाजपा सुनील जाखड़ और विजय सांपला जैसे अपने हिंदू चेहरों को आगे करके सुखबीर बादल की पार्टी के साथ तालमेल कर सकती है। इसमें दोनों पार्टियों को फायदा दिख रहा है। भाजपा और अकाली दल दोनों के नेता मान रहे हैं कि पंजाब में कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई। कैप्टन और जाखड़ पार्टी छोड़ चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का कहीं अता पता नहीं है और नवजोत सिंह सिद्धू जेल में बंद हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले वे छूट जाएंगे लेकिन उनकी स्थिति पहले जैसी नहीं रहेगी। गौरतलब है कि भाजपा एक-एक लोकसभा सीट पर काम कर रही है। उसे पंजाब की दो जीती हुई सीटों को बचाते हुए एक नई सीट जीतनी है, जिसके लिए कैप्टन अमरिंदर को लाया गया है। अकाली दल के साथ आने से भाजपा को लग रहा है कि एनडीए के बिखरने का मैसेज रूकेगा और आम आदमी पार्टी के मुकाबले एनडीए मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर लड़ेगी।
एनडीए में अकाली की वापसी!
