दिल्ली के सत्ता गलियारों में अंग्रेजी दैनिक ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की एक खबर चलते भारी सनसनी का माहौल है। खबर के अनुसार भारत सरकार इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर ‘पेगासस’ सरीखे एक सॉफ्टवेयर को खरीदने जा रही है। खबर के अनुसार सरकार ने इसके लिए बकायदा एक हजार करोड़ का बजट भी आवंटित कर दिया है और अब एक ग्लोबल टेंडर के जरिए ऐसी सॉफ्टवेयर खरीदने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। गौरतलब है कि ‘पेगासस’ को लेकर केंद्र सरकार बीते दिनों भारी दबाव में तब आ गई थी जब राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने मोदी सरकार पर गैरकानूनी तरीकों से उनके मोबाइल फोन ‘हैक’ करने का आरोप लगाया था। केंद्र सरकार तब डिफेंसिव मोड में आ गई थी और उसने स्पष्ट तौर पर इस आरोप का खंडन नहीं किया था कि ‘पेगासस’ को भारत सरकार ने खरीदा है या नहीं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा जिसके द्वारा नियुक्त एक ‘विशेषज्ञ समिति’ ने ‘पेगासस’ का इस्तेमाल होने के पुख्ता आरोप नहीं मिलने की बात कही थी। अब एक बार फिर से सत्ता गलियारों में ऐसे जासूसी सॉफ्टवेयर को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म हो चला है। ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ के अनुसार संभवतः ग्रीस की एक कंपनी ‘इंटेसेक्सा’ से भारत ऐसा सॉफ्टवेयर खरीद सकता है। विश्वभर की खुफिया एजेंसियां और सैन्य बल इस प्रकार का सॉफ्टवेयर आतंकी गतिविधियों और अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए करते हैं। भारत में लेकिन ‘पेगासस’ को लेकर बवाल इसलिए मचा था क्योंकि विपक्षी दलों ने इसके दुरुपयोग का आरोप केंद्र सरकार पर लगाते हुए इसे आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन का मुद्दा बना दिया था।