पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का पारा इन दिनों खासा गर्म बताया जा रहा है। जैसे-जैसे राज्य विधानसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बनर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मिशन बंगाल जीतो को साकार करने के लिए पूरी ताकत झौंक दी है। कभी सबसे विश्वस्त रहे अपने सहयोगी सुवेंदु अधिकारी का साथ छोड़ने से तिलमिलाई ममता को भय सता रहा है कि आने वाले समय में कई अन्य तृणमूल नेता भी पाला बदल सकते हैं। ममता अभी सुवेंदु अधिकारी से मिले झटके से उबरी भी नहीं हैं कि एक अन्य प्रकरण चलते उनका गुस्सा सातवें आसमान पर जा चुका है। दरअसल विश्व ख्याति प्राप्त ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने कुछ अर्सा पहले ममता को अपने यहां एक वर्चुअल भाषण देने का न्यौता भेजा था। ममता भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं जिन्हें ऑक्सफोर्ड ने यह न्यौता दिया था। 2 दिसंबर को प्रस्तावित इस कार्यक्रम से ठीक पहले आॅक्सफोर्ड ने यह कार्यक्रम ‘अपरिहार्य’ कारणों का हवाला देते हुए स्थगित कर डाला। तृणमूल कांग्रेस, विशेषकर ममता बनर्जी इससे खासी खफा हैं। उन्हें लगता है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने ऐसा किसी राजनीतिक दबाव के चलते किया है। जाहिर है उनका शक भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर है। कारण भले ही कुछ भी रहा हो, ममता दीदी का समय सही में ठीक नहीं चलता प्रतीत हो रहा है।