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पटेल के बाद अब खुद मोर्चे पर राहुल-सोनिया

कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार, सोनिया गाँधी के सबसे विश्वस्त पार्टी और परिवार के बीच सेतु का काम करने वाले अहमद पटेल की आकस्मिक मृत्यु से हत्प्रभ कांग्रेस आलाकमान अब खुद फ्रंट-फुट पर बैटिंग करने का मन बनाता नजर आ रहा है। अहमद पटेल लंबे अर्से से कांग्रेस के पुराने चावलों और युवा नेताओं के बीच आपसी तालमेल बैठाए रखने की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इतना ही नहीं विपक्षी दलों के नेताओं और गांधी परिवार के मध्य भी वे एक मजबूत सूत्रधार थे। उनके निधन बाद अब खबर है कि गांधी परिवार ने पार्टी नेताओं और विपक्षी दलों के शीर्ष नेतृत्व से सीधे संवाद करना शुरू कर दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कम्यूनिस्ट दलों के नेता सीताराम येचूरी और डी ़ राजा से सीधे सोनिया गांधी ने बातचीत कर किसान आंदोलन के दौरान 8 दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को विपक्षी दलों द्वारा समर्थन दिए जाने के लिए तैयार किया। सोनिया की पहल का ही नतीजा रहा कि 24 विपक्षी दलों ने इस बंद के पक्ष में अपील जारी कर डाली। पार्टी सूत्रों का यह भी दावा है कि राहुल गांधी भी तेजस्वी यादव वहेमेंत सोरेन जैसे युवा विपक्षी नेताओं से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। ममता बनर्जी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे से सलाह-मश्विरा सोनिया गांधी स्वयं कर रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर प्रियंका को अभी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई है। उन्हें केवल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने का जिम्मा सौंपा गया है। सूत्रों की माने तो राहुल गांधी ने एक बार फिर से कांग्रेस की कमान संभालने का मन बना लिया है। बहुत संभव है कि कुछ समय के लिए किसी विश्वस्त नेता को पार्टी की कमान सौंपी जाए जो वक्त आने पर राहुल के लिए कुर्सी खाली कर दे। इस बीच राहुल गांधी का फोकस ‘मिशन चार’ यानी असम, पुंडुचेरी, उत्तराखण्ड और केरल में पार्टी की सरकार बनाने पर रहेगा। खबर है कि इन चारों राज्यों में अगले वर्ष प्रस्तावित विधानसभा चुनावों की कमान सीधे राहुल ने संभालने का निर्णय ले लिया है।

 

 

 

 

 

 

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