पांच राज्यों में अगले वर्ष प्रस्तावित विधानसभा चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी के शुरुआती तेवर अब ठंडे पड़ने लगे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो आप संयोजक अरविंद केजरीवाल इन दिनों खासे डिप्रेशन में हैं। कारण है उत्तराखण्ड, जहां उन्हें भारी सफलता की उम्मीद थी। इस पहाड़ी राज्य की जमीनी हकीकत से कोसों दूर केजरीवाल को पार्टी विधायक और उत्तराखण्ड प्रभारी दिनेश मोहनिया ने सुनहरे सब्जबाग दिखाए थे। केजरीवाल को बताया गया था कि फौज से रिटायर्ड अफसर कर्नल अजय कोठियाल का राज्य में बड़ा जनाधार है। यदि कोठियाल को पार्टी सीएम चेहरा घोषित करेगी तो पूर्व सैनिक बाहुल्य राज्य में आप की आंधी दौड़ने लगेगी। केजरीवाल झांसे में आ गए। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, पार्टी का जनाधार बढ़ने के बजाए घटने लगा है। ज्यादातर सीटों पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच सिमटता जा रहा है। गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रहे कर्नल कोठियाल को अपनी सीट पर ही बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं का भारी अभाव है। ऐसे में भारी जीत, यहां तक कि राज्य में सरकार बनाने का दावा कर रही आप के सामने बड़ी समस्या आन् खड़ी हुई है। सूत्रों की मानें तो आसन्न संकट को पहचान अब केजरीवाल कांग्रेस से संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं ताकि विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस उनके लिए कुछ सीटें छोड़ दे। इससे न केवल आप के कुछ नेता राज्य विधानसभा में पहुंच जाएंगे बल्कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने का भी मार्ग खुल जाएगा। संकट लेकिन यह कि कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत को आप का प्रपोजल खास पसंद नहीं आया है। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस केजरीवाल के प्रस्ताव को भाव देती है या फिर रद्दी की टोकरी के हवाले करती है।
उत्तराखण्ड से निराश ‘आप’
