हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के एलान के बाद राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के फेर में फंसने की खबर है। दिल्ली और पंजाब के बाद विस्तार की ओर देख रही आम आदमी पार्टी को अब गुजरात से ही उम्मीद नजर आ रही है। खबर है कि आम आदमी पार्टी को एक के बाद एक मिल रहे झटकों के चलते पार्टी का पहाड़ी प्लान फेल होता दिख रहा है। इसके संकेत राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की सियासी चहलकदमी से भी मिल रहे हैं। उन्होंने पहाड़ी राज्य में गतिविधियां कम कर दी है। भारत निर्वाचन आयोग ने हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव कराने का फैसला किया है। इसके बाद भी केजरीवाल गुजरात पर फोकस किए हुए हैं। पार्टी के पंजाब के कई मंत्री और विधायक गुजरात में ही नजर आ रहे हैं। ऐसे में चर्चा है कि पहाड़ी राज्य हिमाचल में प्लान फेल होता देख पार्टी को गुजरात से आस है। पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि वे भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें हिमाचल में क्यों नहीं भेजा जा रहा है। इसके बजाय उन्हें अलग सांस्कृतिक माहौल वाले राज्य में भेजा जा रहा है, जहां भाषा भी उनके लिए चुनौती बन रही है। आप के एक नेता ने कहा, ‘25 जुलाई को केजरीवाल और मान के वर्चुअल रैली को संबोधित करने के बाद केजरीवाल पहाड़ी राज्य में नजर नहीं आए हैं। पार्टी इकाई को अपने आप पर छोड़ दिया है।’ गौरतलब है कि हिमाचल में ‘आप’ की तैयारियां काफी पहले ही शुरू हो गई थीं। मार्च में ही ‘आप’ ने केजरीवाल के करीबी कहे जाने वाले दुर्गेश पाठक को राज्य का प्रभारी बनाया। इसके बाद पार्टी को पहला झटका अप्रैल में लगा। तत्कालीन पार्टी प्रमुख अनूप केसरी, सतीश ठाकुर और इकबाल सिंह जैसे दिग्गज नेता भाजपा में चले गए। खास बात है कि नेताओं के दल बदलने से दो दिन पहले ही केजरीवाल और मान ने मंडी में ‘तिरंगा यात्रा’ की थी। इसके बाद दिल्ली में मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया। 14 अक्टूबर को ‘आप’ ने पंजाब कैबिनेट मंत्री हरजोत बैंस को राज्य का प्रभारी बनाया। जबकि राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा गुजरात के सह प्रभारी बनाए गए थे। वहीं हिमाचल में अभी तक उम्मीदवारों के नामों का एलान तक नहीं किया गया है। जबकि, नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 25 अक्टूबर है।