महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा की गठबंधन सरकार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चलने के समाचार सरकार गठन के बाद से ही सामने आने लगे थे। शिंदे को अपना मंत्रिमंडल गठन करने में पूरे 41 दिन लगे थे। इन मंत्रियों को विभाग बांटने में भी दोनों दलों के मध्य जबरदस्त रस्शा-कशी हुई थी। तब ज्यादातर महत्वपूर्ण मंत्रालय भाजपा के हाथों जाने के बाद ही कयास लगाए जाने लगे थे कि भले ही एकनाथ शिंदे राज्य के सीएम हों, सरकार की नकेल फडणवीस के हाथों में ही रहेगी। गृह, वित्त और आवास जैसे मंत्रालय भाजपा के पास होने के अब यह आशंका सही होती नजर आने लगी है। गत् दिनों नौकरशाही में हुए बड़े बदलाव से भी साफ हो चला है कि फडणवीस के करीबी अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया गया है तो दूसरी तरफ शिंदे के निकट समझे जाने वाले बाबू साइड लाइन कर दिए गए हैं। मुंबई के सत्ता गलियारों में कानाफूसी जोरों पर है कि मुख्यमंत्री शिंदे धारावी झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास का टेंडर सऊदी अरब के राज परिवार से ताल्लुक रखने वाली एक कंपनी को ही दिए जाने के पक्षधर थे। यह कंपनी 2019 में इस परियोजना का टेंडर जीत चुकी थी लेकिन महाविकास अघाड़ी सरकार की ताजपोशी बाद इस टेंडर को निरस्त कर दिया गया था। नई सरकार के सत्ता संभालने बाद इस कंपनी को उम्मीद थी कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर उसका काम शुरू हो जाएगा लेकिन सरकार ने नए टेंडर लाए जाने का एलान कर दिया। जानकारों का दावा है कि शिंदे ऐसा नहीं चाहते थे लेकिन फडणवीस के आगे उनकी एक नहीं चली। यह भी चर्चा जारों पर है कि शिंदे गुट के कई विधायक फडणवीस के सुपर सीएम बनने से खासे नाराज हैं और आदित्य ठाकरे से संपर्क साध घर वापसी की योजना बना रहे हैं।
सुपर सीएम बनते फडणवीस
