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Sargosian / Chuckles

संकट मोचक की भूमिका से त्रस्त रावत

कांग्रेस आलाकमान की कार्यशैली अनोखी है। अगले वर्ष की शुरुआत में ही पंजाब और उत्तराखण्ड समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी नेतृत्व हर कीमत पर उत्तराखण्ड में कांग्रेस की वापसी और पंजाब में अपनी सरकार का दूसरा टर्म चाहता है। दोनों ही राज्यों में ऐसा होने की पूरी संभावना भी है। लेकिन आलाकमान की कार्यशैली ऐसा होने न देने की तरफ इशारा कर रही है। उत्तराखण्ड में पार्टी राज्य के पूर्व सीएम हरीश रावत के दम पर चुनाव मैदान में उतरने जा रही है, लेकिन रावत को पार्टी नेतृत्व ने पंजाब कांग्रेस के झमेले में बुरी तरह उलझा कर रखा है। रावत पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ-साथ पंजाब प्रांत के प्रभारी भी हैं। सूत्रों का कहना है कि रावत को आश्वस्त किया गया था कि नवजोत सिंह सिद्दू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने में जैसे ही वे सफल होंगे उन्हें प्रभारी पद से मुक्त कर दिया जाएगा। राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हरीश रावत ने येन-केन प्रकारेण कैप्टन अमरिंदर सिंह को मना नवजोत की ताजपोशी करा ही डाली, लेकिन बेचारे रावत अभी तक पंजाब प्रभारी पद से मुक्ति नहीं पा सके हैं। अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह के मध्य दिनों दिन विवाद गहराने के चलते रावत को पंजाब के मोर्चे पर बने रहने को कहा गया है जिसका सीधा असर उत्तराखण्ड कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर पड़ रहा हैं हालात इतने विकट हैं कि प्रदेश कांग्रेस की बैठक के साथ-साथ रावत को देहरादून में ही पंजाब के नेताओं को भी हैंडल करना पड़ रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज मंत्री और विधायकों से तो रावत जूझ ही रहे हैं, टिकट की चाह रखने वाले भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में खबर जोरों पर है कि रावत ने पार्टी आलाकमान को दो टूक शब्दों में कह डाला है कि उन्हें पंजाब के प्रभारी पद से तत्काल मुक्त कर दिया जाए ताकि वे अपना पूरा समय उत्तराखण्ड में कांग्रेस की चुनावी तैयारियों के लिए दे सकें।

जगन पर निगाहेंhttps://thesundaypost.in/sargosian-chuckles/look-at-jagan/

 

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