महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे का भविष्य गर्त में है। शिवसेना प्रमुख स्व ़ बाल ठाकरे के अत्यंत करीबी राज ठाकरे एक समय में बाल ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी कहलाए जाते थे। शिव सेना भीतर मौजूद ‘उज्जड़ सेना’ के वे ही हीरो हुआ करते थे। बाल ठाकरे ने लेकिन अपनी विरासत भतीजे राज के बजाए बेटे उद्धव को सौंप डाली। इससे नाराज राज ठाकरे ने 2005 में शिव सेना से अलग हो महाराष्ट्र नव निर्माण सेना का गठन कर डाला था। 2009 में इस पार्टी के 13 विधायक चुने गए। 2014 में लेकिन इसे करारी हार का सामना करना पड़ा और पार्टी केवल एक विधानसभा सीट जीत पाई। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी यही स्थिति रही।
जानकारों का कहना है कि राज ठाकरे लगातार मिल रही पराजय के पीछे अपने घर के वास्तु को दोषी मानते हैं। पिछले 25 बरसों के दौरान वे तीन बार अपना घर बदल चुके हैं। गत् पखवाड़े उन्होंने अपने नए घर में बड़ी धूमधाम से गृह प्रवेश किया। ‘शिव तीर्थ’ नामक यह घर आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस एक छह मंजिला भवन है। देखना दिलचस्प होगा कि इस ‘शिव तीर्थ’ में प्रवेश बाद राज ठाकरे के सितारे गर्दिश से बाहर आते हैं या फिर कुछ समय बाद वे एक और नया घर अपने लिए तलाशते हैं। सूत्रों की मानंे तो राज ठाकरे की पार्टी अगले वर्ष होने जा रहे वृहद मुंबई नगर पालिका चुनावों में दमदार प्रदर्शन की तैयारियों में जुट गई है। महाराष्ट्र की राजनीति में इस नगर पालिका का खासा महत्व है। यदि एमएनएस का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा तो राज ठाकरे की राजनीति चमक उठेगी और शायद ‘शिव तीर्थ’ उनका स्थायी निवास भी बन जाएगा।
वास्तु सहारे राज ठाकरे
