कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कार्यशैली को लेकर पार्टी भीतर भारी असंतोष का माहौल है। राहुल स्पष्टवादी नेता हैं। उन्हें यदि कोई बात पसंद नहीं आती तो वे बगैर लाग-लपेट उसे कहने से नहीं चूकते। गत् बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी की करारी हार से नाराज राहुल ने खुलकर कह डाला था कि पार्टी के टिकट बेचेे गए इसलिए नतीजा इतना खराब रहा। उनके इस बयान बाद बिहार के प्रभारी रहे अविनाश पाण्डेय को हटा दिया गया था। अब लेकिन यकायक ही पार्टी ने उन्हें उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी का जिम्मा सौंप दिया है। उनके साथ इस कमेटी की जिम्मेदारी विरेन्द्र राठौड़ को दी गई है। हरियाणा के नेता राठौड़ स्वयं तीन बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इससे पहले उन्हें गत् दिल्ली विधानसभा चुनाव में यही जिम्मेदारी दी गई थी। दिल्ली में कभी 15 बरस तक लगातार शासन करने वाली कांग्रेस का एक भी नेता चुनाव जीत विधानसभा नहीं पहुंच पाया। इस हार के बाद चर्चा गर्म रही थी कि टिकट वितरण में पैसा चला था। अब कुछ ऐसा ही उत्तराखण्ड के संदर्भ में कहा जाने लगा है। उत्तराखण्ड कांग्रेस के एक बड़े नेता का मानना है कि गलत टिकट यदि दिए गए तो सत्ता के करीब पहुंच चुकी कांग्रेस का हश्र पिछले चुनाव जैसा होना तय है जब पार्टी को 70 में से मात्र 11 सीटें मिली थी।
राहुल के अजब-गजब फैसले
