सन् 2011 में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बन इतिहास रच डाला था। चौंतीस बरस से बंगाल में शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को सत्ता से बाहर करने वाली ममता ने 2016 में हुए चुनावों में एक बार फिर से प्रचंड बहुमत पाया। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाले नेताओं में एक रही हैं। अब लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में बनर्जी के तेवर बदल चुके हैं। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के लोकायुक्त कानून में बड़ा बदलाव करते हुए मुख्यमंत्री को इस कानून की जद से बाहर कर डाला। इतना ही नहीं अब राज्य सरकार के किसी भी मंत्री और उच्च अधिकारी की जांच लोकायुक्त बगैर राज्य सरकार की मंजूरी लिए नहीं कर पाऐगा। सरकार के इस निर्णय की राज्य भर में कटु आलोचना हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर लग रहे चौतरफा भ्रष्टाचार के आरोपों से सीएम का मनोबल कम हुआ है। खबर है कि ममता बनर्जी शारदा चिट् फंड और नारद स्टिंग ऑपरेशन में फंस सकती हैं। इसी से बचने के लिए उन्होंने लोकायुक्त कानून में बड़ा फेरबदल कर डाला है।